गालियों और गाली-गीतों के बीच एक बहुत बड़ा अंतर है।

Written By

My Siwan

‘गाली गीत’ शादी-विवाह के समय प्रस्तुत किए जाते हैं। इस समय, समधी, दूल्हे के बड़े भाई (जेठ) के साथ-साथ सभी रिश्तेदारों और बारातियों को ‘गाली गीत’ से स्वागत किया जाता है।

 मिथिला में इस ‘गाली गीत’ को डहकन कहते हैं।

मिथिला में डहकन की शुरुआत राम-सीता के विवाह से हुई, क्योंकि मिथिला की सबसे बड़ी दुल्हन 'सीता' हैं और सबसे बड़े दूल्हा 'राम' हैं। कहा जाता है कि 'राम' जब शादी करने के लिए मिथिला आए, तो मिथिला की स्त्रियां उनके साथ छेड़छाड़ करती हैं,

"सुनु सखी एक अनुपम घटना अजगुत लागत भारी हे खीर खाए बालक जन्माओल अवधपुर के नारी हे।”

अब इस गीत में देखिये लोग समधी को किस तरह गाली देते हैं,

“इहे मोरे समधी के बड़े-बड़े हाथ रे ओही हाथे छुअलन मरबा हमर रे मारु, हाथ काटू उनका, यहां से भगाऊ रे।”

खाना खाने के समय गाया जाने वाला गीत -

"चटनी पूरी, चटनी पूरी, चटनी है आमचुर की खाने वाला समधी मेरा सूरत है लंगूर की दाएं हाथ से भात खाए, बाएं हाथ से दाल रे मुंह लगाकर चटनी चाटे, कुकुर जैसी चाल रे।”

जैसे ही दूल्हा शादी करने के लिए आता है, उससे और दुल्हन से एक ही सवाल किया जाता है - अपने माता-पिता का नाम बताओ। दुल्हन का उत्तर होता है कि मेरे पिता पंडित हैं और माता गौरी हैं। लेकिन यही सवाल दूल्हे से पूछने पर, उनकी तरफ से जवाब में स्त्रियां गाती हैं।

कहु बाबा के नाम कोहबर कहु अम्मा के नाम कोहबर बाबा त हमर लोफर बाबा हो अम्मा जंगली छिनाल कोहबर

पति के न होने का गम और साथ-साथ सास और ननद की ज्यादतियों का भी जवाब वे इन्हीं गीतों के माध्यम से देती हैं "हे गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो बहू सासु के ले जा दहाय हमर मन कटहल पर ।"

"सुनाओ मेरी सखियां, स्वागत में गाली सुनाओ बजाओ मेरी सखियां ढोलक मजीरा बजाओ।"